Wednesday 15 August 2012

सावध झालो, सावध झालो। हरिच्या आलो जागरणा।


सावध झालो, सावध झालो। हरिच्या आलो जागरणा।
जेथे वैष्णवांचे भार। जयजयकार गर्जतसे।
पळोनियां गेली झोप। होते पाप आड ते।
तुका म्हणे तया ठाया। वोल छाया कृपेची॥

मैं सावधान हुआ, मैं सावधान हुआ। हरि के जागरण में मैं आया।

जहाँ वैष्णवों का समुदाय एकत्रित हुआ है वहाँ उस (हरि की) जयजयकार हो रही है।

जिसके पीछे पाप छिप कर बैठा था वह मेरी निद्रा अब भाग गई।

तुका कहे उस जगह कृपाकी छाया रहती है।

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