Friday 14 June 2013

Bulleshah says जिस तन लगिआ इश्क कमाल

जिस तन लगिआ इश्क कमाल,
नाचे बेसुर ते बेताल।

दरदमन्द नूं कोई ने छेडे
जिसने आपे दु:ख सहेडे
जम्मणा जीणा मूल उखेडे
बूझे अपणा आप खिआल।
जिसने वेस इश्क दा कीता
धुर दरबारों फतवा लीता
जदों हजूरों प्याला पीता
कुछ ना रह्या जवाब सवाल।
जिसदे अन्दर वस्स्या यार
उठिया यार ओ यार पुकार
ना ओह चाहे राग न तार
ऐंवे बैठा खेडे हाल।
बुल्ल्हिआ शौह नगर सच पाया
झूठा रौला सब्ब मुकाया
सच्चियां कारण सच्च सुणाया
पाया उसदा पाक जमाल।


जिसे प्रभु से पूर्ण प्रेम हो जाता है वह आनन्दमय मस्ती में आकर बेसुर और बेताल नाचने लगता है।
उस वेदना-भरे जीव को कोई क्या तंग करेगा, जिसने स्वयं अपने लिए दुख संजो लिये हैं। दुखों को वरण करने वाला जन्म और मरण को उखाड फेंकता है और वह अपनी हस्ती को स्वयं पहचान्न लेता है।
जिसने प्रभु-प्रेम को जीवनाधार बना लिया है, उसे स्वयं आदिसत्ता से आदेश प्राप्त होने लगते हैं। जब स्वयं आदिसत्ता के हाथ से प्रेम का प्याला पिया हो तो उस अवस्था में किसी प्रकार के दुविधा के लिए स्थान ही नहीं रहता।
जिसके हृदय के अन्दर उसका यार बस जाता है, तो वह आपा भूलकर यार-ही-यार पुकार उठता है। जब रोम-रोम में प्रिय की ध्वनि गूंजने लगे, तब फिर किसी बाहरी राग अथवा ताल की चाह ही नहीं रह जाती और वह अनायास मिलन-सुख में डूबकर नाचने लगता है।

बुल्लेशाह कहता है कि प्रिय के नगर में ही सच प्राप्त होता है। प्रियतम के नगर को देखने के बाद तो संसार के सारे झूठे शोर समाप्त हो जाते हैं। यह परम सत्य मैंने उन लोगों के लिए कहा है, जो सच्चे हैं, और जिन्हें उसके परम प्रेममय पवित्र रूप सौंदर्य का दर्शन हो चुका है।