हरिच्या जागरणा।
जाता का रे नये मना॥
कोठे पाहासील तुटी।
आयुष्य वेचे फुकासाठी॥
ज्यांची तुज गुंती।
ते तो मोकलिती अंती॥
तुका म्हणे बरा।
लाभ काय तो विचारा॥
अरे! हरी के जागरण
में क्यों सहभागी नहीं होते तुम? ऐसा मन क्यों नहीं है तुम्हारा?
ये सारी उम्र मुफ्त
में ही चली जाएगी क्या? जिनमें तुम अपने आप को खोए हो वह सारे तुम्हारी मृत्यु आते
ही छोड देंगे। तुका कहे पुछो के सर्वश्रेष्ठ लाभ किसमें है?
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