पावले पावले तुझे आम्हा सर्व। दुजा नको भाव होऊ देऊ ।
जेथे जेथे देखे तुझीच पाउले। त्रिभुवन संचले विठ्ठला गा।
भेदाभेद मते भ्रमाचे संवाद। आम्हा नको वाद त्याशी देऊ।
तुका म्हणे अणु तुजविण नाही। नभाहुनि पाही वाड आहे।
हे विठ्ठल। आपका जो था हमे प्राप्त हुआ है। अब कोई दूसरा भाव ना देना।
जहाँ देखूं वहाँ आपके पदचिन्ह हैं। सारा त्रिलोक आपमें संचित है।
भेद,अभेद के संवाद भ्रम से भरे हैं। हमें उस विवाद में ना पडने दें।
तुका कहे,आपके स्वरूप से अणु भिन्न नहीं। नभ से भी व्यापक आपका
स्वरूप है।
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