नये जरी तुज मधुर उत्तर। दिधला सुस्वर नाही देवे।
नाही तयाविण भुकेला विठ्ठल। येईल तैसा बोल रामकृष्ण।
देवापाशी मागे आवडीची भक्ती। विश्वासीशी प्रीति भावबळे।
तुका म्हणे मना सांगतो विचार। धरावा निर्धार दिसेंदिस।
हो सकता है की मिधुर स्वर में तुम्हे गाना मुमकिन ना हो। हो सकता है की
ऐसा सुस्वर तुम्हे देव ने दिया ना हो।
परंतु विठ्ठल इसका भूका नहीं। जैसा कह सको, कहो रामकृष्ण।
उस देव से, विश्वास से, प्रीती से, माँगो अपने पसंद की भक्ती।
तुका कहे हे मन, तुम्हे एक विचार कहता हूँ – इसी निर्धार को हर दिन जतन
करना॥
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