Saturday 1 September 2012

सदा माझे डोळा जडो तुझी मूर्ती। रखुमाईच्या पती सोयरिया॥


सदा माझे डोळा जडो तुझी मूर्ती। रखुमाईच्या पती सोयरिया॥
गोड तुझे रूप गोड तुझे नाम। देई मज प्रेम सर्व काळ॥
विठो माऊलिये हाचि वर देई। संचरोनि राही हृदयामाजी॥
तुका म्हणे काही न मागे आणिक। तुझे पायी सुख सर्व आहे॥


हे प्रियकर, रखुमाई के पती, सदैव मेरी आँखें तुम्हारी मूर्ती को निहारती रहें।

तेरा रूप मधुर, तेरा नाम मधुर, मुझे हर समय केवल तेरा ही प्रेम रहे।

हे माँ समान विठ्ठल यही वर देना की तुम्हारा संचार मेरे हृदय में रहे।

तुका कहे और कुछ नहीँ है माँग मेरी, तेरे चरणों में ही सारा सुख है॥

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