Saturday 1 September 2012

धर्माची तू मूर्ती। पाप पुण्य तुझे हाती॥


धर्माची तू मूर्ती। पाप पुण्य तुझे हाती॥
मज सोडवी दातारा। कर्मापासूनि दुस्तरा॥
करिसी अंगीकार। तरी काय माझा भार॥
जिवींच्या जीवना। तुका म्हणे नारायणा॥
तुका कहे जीवों के जीव नारायण से।
तू धर्म की मूर्ती है। पाप पुण्य तेरेही हाथ में हैं।

इसलिए हे देनेवाले मुझे छुडा ले इस दुस्तर कर्म से।

मेरा भार ही कितना है? मुझे अपने में समा ले।

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