Saturday 5 December 2015

प्रारब्धा हाती जन। सुख सीण पावतसे।।
करिता घायाळाचा संग। अंगे अंग माखावे।।
अविसा अंगी पीडा वसे। त्यागे असे बहु सुख।।

तुका म्हणे जीव भ्याला। अवघा आला बाहेरी।।

https://youtu.be/APzXHbPFGW0


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