Saturday, 22 September 2012

कर कटावरी तुळसीच्या माळा। ऐसे रूप डोळा दावी हरी॥


कर कटावरी तुळसीच्या माळा। ऐसे रूप डोळा दावी हरी॥
ठेविले चरण दोन्ही विटेवरी। ऐसे रूप हरी दावी डोळा॥
कटी पितांबर कास मिरवली। दाखवी वहिली ऐसी मूर्ती॥
गरुडपारावरी उभा राहिलासी। आठवे मानसी तेचि रूप॥
झुरोनि पांझरा होऊ पाहे आता। येई पंढरीनाथा भेटावया॥
तुका म्हणे माझी पुरवावी आस। विनंती उदास करू नये॥

हे हरी, कमरपर हाथ रखे और गले में तुलसीकी माला पहने ऐसा रूप मैं अपनी आँखों से देखूं। और हे हरी, दोनो चरण ईंट पर रखे हुए ऐसा रूप मैं इन आँखों से देखूं। त्वरित, अपनी कमर में पीतांबर पहनी मूर्ती मुझे दिखाओ। गरुडपर खडे हुए आपका रूप मैं मन में याद कर रहा हूँ। आपकी इस मूर्ती को देखने की तीव्र इच्छा की वजह से मैं अब अस्थिपंजर का सा हो गया हूँ। अब तो, हे पंढरीनाथ, मेरी इच्छापूर्ती करो। मेरी विनती को न दुत्कारो। 

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