निंदी कोणी
मारी। वंदी कोणी पूजा करी॥
मज हेही नाही
तेही नाही। वेगळा दोहीपासुनी॥
देहभोग भोगे
घडे। जे जे जोडे ते बरे॥
अवघे पावे
नारायणी। जनार्दनी तुकयाचे॥
कोई निंदा
करे, या मारे, वंदन करे या पूजा करे, मुझे इस का न कोई दु:ख है ना सुख। मैं दोनों
से अलग हूँ। जो भोग होते हैं वे देह को होते हैं इसलिए जो भोग होते हैं वे अच्छे
हे होते हैं। तुका कहे ये भोग सारे नारायण के हैं, उसीके पास जाते हैं।